उस दिन रावण साधु का भेष धरकर आया और शैतानों वाला दृष्ट काम कर गया उठा ले गया मां सीता को मां सीता जानती थी कि रावण देवताओं को भी पराजित कर चुका है।
इस से लड़ना वह लंका पर चढ़ाई करना बहुत आसानधारण काम था लेकिन इतनी कठिन परिस्थिति में भी सीता मां का राम पर विश्वास एक पल के लिए भी कमजोर नहीं पड़ा कह दिया उन्होंने रावण से कि मेरे राम आएंगे और तेरी लंका से सह- सम्मान मुझे ले जाएंगे।
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राम जानते थे कि रावण से युद्ध सरल नहीं होगा वह भी तब जब ना उनके पास राज है न सेना न सास्त्र न संसाधन लेकिन राम ने किसी बात की परवाह नहीं की एक पल के लिए भी नहीं सोचा कि रावण त्रिलोक विजेता है।
और मैं एक साधारण मनुष्य हम जानते हैं कि राम ने साधारण थे और ना ही मनुष्य लेकिन रावण ने अपना पूरा जीवन मानवीय मूल्यों पर जिया वैसा ही लड़े जैसा कोई साधारण मनुष्य अपनी प्राण प्रिय पत्नी का हरण करने वाले दुराचारी से लड़ता है।
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क्या क्या कष्ट ना सही लेकिन राम ने सीता का विश्वास नहीं टूटने दिया और रावण को मारकर लंका से अपनी पत्नी को उसी आदर के साथ वापस लाएं जो मां सीता का अधिकार था।
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