दिव्य संवाद पटना, अब बिहार में मुखिया जी जल्द ही हैं में थामेंगे बंदूक। जी हां बिहार में पंचायत चुनाव के बाद जनप्रतिनिधियों की ताबड़तोड़ हो रही हत्याओं से कई सवाल उठ खड़े हो गए थे। हत्याओं का दौर शुरू हो जाने के बाद नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने सरकार से अपने लिए सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराने या फिर हथियार के लिए लाइसेंस देने की अनुमति प्रदान करने की मांग रखी थी।
सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए अप्रैल माह में अभियान।
आखिरकार सरकार ने ऐसे मुखिया और पंचायत प्रतिनिधियों की बात मान ली है। जरूरतमंद मुखिया और पंचायत प्रतिनिधियों को शर्त के अनुसार हथियार का लाइसेंस मुहैया कराया जाएगा। इस संबंध में सरकार द्वारा सभी जिलों के डीएम और एसपी को पत्र लिखा गया है
घर होने पर भी डीडीए में आवेदन कर सकेंगे आप
पत्र में इस बात की चर्चा की गई है कि पंचायती राज विभाग की तरफ से ऐसा अनुरोध किया गया है. भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा शस्त्र संबंधी पूर्व के नियमों को अधिक्रमित करते हुए शस्त्र नियम 2016 अधिसूचित किया गया है. 15 जुलाई 2016 से या प्रभावी रहा है. अब आयु संबंधी सभी मामले आयुध अधिनियम 2016 के तहत संपादित किए जाते है।
नियम के तहत शस्त्र अनुज्ञप्ति की स्वीकृति के लिए जिला पदाधिकारी को सक्षम प्राधिकार माना गया है. गृह विभाग के अवर सचिव ने अपने सभी जिलाधिकारी को लिखे पत्र में इस बात की चर्चा की है कि शस्त्र अनुज्ञप्ति की स्वीकृति संबंधी आयुध अधिनियम 2016 का दृढ़ता से पालन किया जाए।
ऐसे पंचायती राज प्रतिनिधियों से प्राप्त शस्त्र अनुज्ञप्ति से संबंधित आवेदन को नियमानुसार निष्पादित किया जाए. देखना होगा सरकार के इस आदेश के बाद मुखिया की समेत सभी जनप्रतिनिधियों की हथियार का लाइसेंस देने की मांग किस हद तक पूरी होती है।
बता दें, बिहार में पंचायत चुनाव के बाद से कई बार मुखिया समेत अन्य पंचायत प्रतिनिधियों पर हमले की खबर आती रहती हैं. ऐसे में बिहार सरकार के इस अनुमति से उम्मीद है कि मुखिया व अन्य पंचायत प्रतिनिधियों को हथियार का लाइसेंस मिलने के बाद उन पर होने वाले हमलों में कमी आएगी. बता दें, मुखिया समेत अन्य पंचायत प्रतिनिधि लगातार राज्य सरकार से अपनी सुरक्षा को लेकर गुहार भी लगाते रहे है।
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