कहानी का सारांश।
गाँव के एक कोने में स्थित एक पुराना हवेली था, जो वर्षों से वीरान पड़ा हुआ था। गाँव के लोग उस हवेली से दूर रहते थे क्योंकि कहते थे कि वहाँ एक भूतनी रहती है, जिसे "एक रात की दुल्हन" कहा जाता था। वह हर पूर्णिमा की रात को उस हवेली में आती थी, और अगर कोई इंसान उस रात वहाँ रुकता, तो उसकी मौत हो जाती थी।
कहानी की शुरुआत:
रामू, गाँव का एक नौजवान, बहुत ही साहसी था। वह इन बातों पर यकीन नहीं करता था और उसने यह ठान लिया कि वह इस भूतिया हवेली में एक रात गुजारकर गाँव वालों को यह साबित करेगा कि कोई भूत-प्रेत नहीं होते। गाँव के बुजुर्गों और दोस्तों ने उसे बहुत समझाया, लेकिन रामू ने किसी की बात नहीं सुनी।
हवेली की रात।
रामू पूर्णिमा की रात को हवेली में गया। हवेली बिल्कुल खामोश थी, लेकिन रामू ने अपने दिल को मजबूत रखा। आधी रात होने पर हवेली के अंदर कुछ अजीबोगरीब आवाजें आने लगीं। अचानक, उसे एक सफेद साड़ी पहने हुए एक युवती दिखाई दी। वह युवती बहुत ही सुंदर थी, पर उसकी आँखों में गहरी उदासी थी।
रामू ने उससे पूछा, "तुम कौन हो?
युवती ने अपनी दर्दभरी आवाज़ में बताया कि वह इस हवेली की पुरानी मालिक की बेटी थी। उसकी शादी के दिन उसके पति की एक दुर्घटना में मौत हो गई थी। शादी की रात ही वह विधवा हो गई थी, और इसी सदमे में उसकी भी मौत हो गई। उसकी आत्मा को शांति नहीं मिली और तभी से वह हर पूर्णिमा की रात को अपने दुल्हन वाले रूप में इस हवेली में आती है।
कहानी का अंत।
रामू को उस भूतनी की दर्दभरी कहानी सुनकर उसकी आत्मा के लिए दुख हुआ। उसने भूतनी से वादा किया कि वह उसकी आत्मा की मुक्ति के लिए पूजा-पाठ करवाएगा। भूतनी ने रामू को धन्यवाद दिया और धीरे-धीरे अदृश्य हो गई। अगले दिन, रामू गाँव के पंडित से मिलकर भूतनी की आत्मा की शांति के लिए पूजा करवाता है।
उसके बाद से, हवेली में कभी कोई अजीब घटना नहीं हुई, और भूतनी की आत्मा को शांति मिल गई। गाँव के लोग भी अब उस हवेली के पास जाने से नहीं डरते थे।
संदेश।
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि हर आत्मा को शांति और मुक्ति की आवश्यकता होती है। हमारे समाज में कई अंधविश्वास होते हैं, लेकिन उनके पीछे अक्सर कोई दुखद और अनकही कहानी होती है।
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