लोमड़ी और कुत्ता
यह कहानी एक चालाक लोमड़ी और एक बेवकूफ कुत्ते की है, जो बहुत मजेदार और शिक्षाप्रद है।
एक बार की बात है, एक हरे-भरे जंगल में एक चालाक लोमड़ी रहती थी। वह अपनी बुद्धिमानी और चालाकी के लिए मशहूर थी। वहीं, एक कुत्ता था, जो जंगल के किनारे एक गांव में रहता था। वह कुत्ता अपने स्वामी के प्रति वफादार था, लेकिन थोड़ा मूर्ख भी था।
एक दिन, लोमड़ी जंगल में घूमते हुए कुत्ते से मिली। कुत्ता बहुत खुश था और लोमड़ी से बातचीत करने लगा।
कुत्ता: "हाय लोमड़ी! तुम हमेशा इतनी चतुर क्यों रहती हो? तुम लोगों से इतनी दूर क्यों रहती हो?"
लोमड़ी: "मैं लोग क्या कर रहे हैं, इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं अपने लिए खाने की तलाश में रहती हूं।"
कुत्ता: "लेकिन मेरे स्वामी ने मुझे बहुत अच्छा खाना दिया है। मुझे तो सब अच्छा लगता है।"
लोमड़ी ने एक योजना बनाई। उसने कुत्ते से कहा, "तुम्हारे स्वामी तो अच्छे हैं, लेकिन तुम्हारे पास एक बड़ी समस्या है।"
कुत्ता: "क्या समस्या?"
लोमड़ी: "जब तुम गेट पर बैठते हो, तो कोई भी तुमसे डरता है। अगर तुम थोड़ा चालाकी दिखाओ, तो तुम ज्यादा स्वादिष्ट खाना पा सकते हो।"
कुत्ता: "कैसे?"
लोमड़ी: "तुम्हें बस थोड़ी सी हिम्मत दिखानी है। जब तुम्हारा स्वामी घर से बाहर निकले, तुम दौड़कर उसके पीछे जाओ और भौंको। इससे वह समझेगा कि तुम उसे बचा रहे हो और तुम्हें ज्यादा खाना देगा।"
कुत्ता सोचने लगा, "ये तो सही बात है!" उसने उस दिन से यह योजना लागू करने का निर्णय लिया।
जब कुत्ते का स्वामी घर से बाहर निकला, तो कुत्ता दौड़कर उसके पीछे गया और जोर-जोर से भौंकने लगा। स्वामी ने डरकर देखा और उसे लगा कि कुत्ता उसे बचाने की कोशिश कर रहा है। उसने कुत्ते को चटपटे खाने का एक बड़ा टुकड़ा दिया।
कुत्ता बहुत खुश हुआ। उसने लोमड़ी को बताया, "तुम्हारी योजना काम कर गई!"
लोमड़ी ने हंसते हुए कहा, "अब तुम मेरे दोस्त बन गए हो। चलो, मैं तुम्हें और मजेदार योजनाएँ बताती हूँ।"
लेकिन अब कुत्ता लोमड़ी की चालाकी को समझ नहीं पाया। लोमड़ी ने एक और योजना बनाई। उसने कहा, "तुम्हें अब और मेहनत नहीं करनी है। बस सुबह-सुबह खेत के पास बैठो और जोर से भौंको। लोग तुम्हें डरकर खाना देंगे।"
कुत्ता ने सोचा, "ये तो बहुत आसान है!" उसने वही किया। लेकिन इस बार लोग उसे देखकर भागने लगे।
कुछ दिन बाद, कुत्ते के स्वामी ने उसे कहा, "तुम क्या कर रहे हो? तुम अब तो बेकार हो गए हो।" कुत्ता बहुत दुखी हुआ।
उसी समय, लोमड़ी आई और बोली, "तुम्हें यह नहीं करना चाहिए था। तुमने मेरी बातों पर ध्यान दिया।"
कुत्ता समझ गया कि वह लोमड़ी की चालाकी में फंस गया था। उसने सोचा, "मुझे अपनी बुद्धि का उपयोग करना चाहिए।"
कुत्ता लोमड़ी से कहा, "अब मैं तुम्हारी बातों पर भरोसा नहीं करूँगा। मैं अपने स्वामी के साथ रहने का निर्णय लिया है।"
इस पर लोमड़ी ने कहा, "ठीक है, तुम्हारा निर्णय सही है। लेकिन याद रखो, हमेशा अपनी बुद्धि का उपयोग करो।"
इस तरह कुत्ता समझ गया कि किसी भी बात पर आँख बंद करके विश्वास नहीं करना चाहिए और उसे अपनी बुद्धि का उपयोग करना चाहिए।
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