सोने की चिड़िया हिंदी कहानी।
एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में एक सोने की चिड़या रहती थी। यह चिड़िया बहुत ही सुंदर और चमकीली थी। लोग उसे देखकर हैरान हो जाते थे कि इतनी चमक कैसे हो सकती है। उसके पंख और उसकी चाँदी जैसी धारा उसे बहुत ही खास बनाती थी। एक दिन, एक संगीन गर्दभ ने चिड़िया को देख लिया। वह चिड़िया की चमक में आकर्षित हो गया। उसने चिड़िया से कहा, हे चिड़िया, तुम्हारी चमक मुझे बहुत पसंद आई है। क्या तुम मुझे अपने पंख दे सकती हो?
चिड़िया ने गर्दभ को सुनते ही उसकी सोच समझी और बोली, मुझे अच्छा लगा कि तुम्हें मेरी चमक पसंद आई, पर मैं तुम्हें अपने पंख नहीं दे सकती। मेरे पंख मेरी खासियत हैं और मैं उन्हें नहीं खोना चाहती।"
गर्दभ ने चिड़िया की बात नहीं मानी और उसे धमकाते हुए कहा, अगर तुम मुझे अपने पंख नहीं दोगी तो मैं तुम्हारे पंख अपने आप ले लूँगा। चिड़िया ने ध्यान से सोचा और फिर कहा, ठीक है, लेकिन मैं तुम्हें अपने पंख इसलिए नहीं दे रही हूँ क्योंकि वे मेरी खासियत हैं, लेकिन मैं तुम्हें कुछ और दे सकती हूँ जो तुम्हें भी बहुत पसंद आएगा।"
गर्दभ ने आशा की नजरों से चिड़िया की ओर देखा।
चिड़िया ने गर्दभ को अपने पंखों की चमक की तरह कुछ सिखाने का वादा किया। वह गर्दभ को बताया कि चमक का असली रहस्य उसके अंदर की सातों गुणों में निहित है। वह गर्दभ को उसी चमक को प्राप्त करने के लिए सिखाया।
गर्दभ ने चिड़िया के उपदेश को माना और उसने उसे ध्यान से सुना। वह जल्द ही समझ गया कि असली चमक उसके अंदर की सच्ची समृद्धि में है। इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमारे पास हमेशा वो खासियतें होती हैं जो हमें अनूठा बनाती हैं। यदि हम अपने स्वाभाविक गुणों का सम्मान करें और उन्हें सही तरीके से उपयोग करें, तो हमें हमेशा सफलता मिलती है।
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