एक दिन, बोबो ने एक पुराने पेड़ के नीचे एक चमत्कारी झोला देखा। जब वह झोला खोला, तो उसमें एक जादुई चश्मा था। जो चश्मा पहनने वाले को किसी भी चीज की सच्चाई दिखा सकता था।
बोबो ने वह चश्मा पहना और जंगल में फिर घूमने लगा। वह देखता था कि कौनसी मित्रता सच्ची है और कौन झूठी। उसने बहुत सी मजेदार घटनाएं देखीं और सभी को देखने के बाद, उसने एक बड़े जंगली सभा बुलाई।
उसने अपनी देखी गई घटनाओं का वर्णन किया और सभी जंगलवासियों को चश्मा पहनाकर यह कहा कि इससे सच्चाई देखने में मदद हो सकती है। सभी ने उसकी बात मानी और चश्मा पहनकर वे सभी बंदर जंगल में घूमने लगे।
पहले तो सब ठीक था, परंतु फिर जंगल में उलझा गया कि एक बंदर ने दूसरे की टोपी उधार ली थी और धीरे-धीरे सब बंदर एक दूसरे की चीजें चुरा रहे थे।
बोबो ने देखा कि उसके चश्मा ने इन बंदरों के असली चेहरे दिखा दिए और सच्चाई सामने आ गई। सभी ने अपनी गलतियों को मान लिया और वास्तविक मित्रता का मूल्य समझा।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि सच्चाई का पालन करना हमेशा बेहतर होता है, चाहे वह कितनी भी मजेदार या जादुई क्यों ना हो।
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